ऑपरेशन में निकाली हड्डी गायब:पिता का आरोप- अस्पताल ने दूसरे मरीज को लगाई

शहर के एक निजी अस्पताल ने ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन के दौरान एक युवक की हड्डी निकालकर रख ली। रिकवरी के बाद उसे लगाने को कहा, लेकिन जब युवक के परिजन ने अस्पताल में संपर्क किया तो बोले हड्डी लेकर आओ लगा देंगे। परिजन ने कहा कि वह अस्पताल में रखवा ली थी। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि आपकी स्वीकृति के बाद ही उसे नष्ट किया था। वहीं युवक के पिता का आरोप है कि अस्पताल ने दूसरे मरीज से रुपए लेकर हड्डी लगा दी। मामला कीर्ति सिंह पिता सुरेश परमार उम्र 33 साल निवासी डी-10 ज्योतिनगर उज्जैन के युवक का है।

ब्रेन ट्यूमर होने पर उसका सीएचएल हॉस्पिटल इंदौर में 20 जून 2019 को ऑपरेशन हुआ। परिजन के मुताबिक न्यूरो सर्जन ने उसके आधे सिर की हड्डी निकाली और अस्पताल में ही रखवा दिया। कहा कि चार माह बाद ब्रेन को कवर करने और सेफ्टी बतौर लगाएंगे। ट्यूमर ठीक होने पर युवक के पिता ने डॉ. राजेश भार्गव से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि मार्च में आपकी अनुमति लेकर ही डिस्ट्रॉय कर दिया।

सुरेश ने कहा कि हम लोगों ने कब कहा कि हड्डी को नष्ट कर दिया जाए। परिवार के लोगों ने हॉस्पिटल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया और इंदौर के एमआईजी थाने में शिकायत की है, जिस पर पुलिस जांच कर रही है। बिजली कंपनी में सेक्शन ऑफिसर के पद से सेवानिवृत्त पिता सुरेश परमार ने बताया कि हमसे हॉस्पिटल प्रबंधन ने कोई स्वीकृति नहीं ली और न हमें इसकी कोई सूचना दी गई।

हमने जब हॉस्पिटल में संपर्क किया था तो कहा गया था कि हड्डी सुरक्षित रखी है। न्यूरो सर्जन के कहने पर हम लोग हॉस्पिटल में हड्डी लेने पहुंचे तो हॉस्पिटल प्रबंधन ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उसे तो हम नष्ट कर चुके हैं। ऐसे में मेरे पुत्र के सामने संकट खड़ा हो गया है।

अब फिर से हड्‌डी लगाने का खर्च 5 लाख

उन्होंने हॉस्पिटल प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि मेरे पुत्र की हड्डी दूसरे मरीज को रुपए देकर लगा दी गई है। अब मेरे पुत्र को फिर से दूसरी हड्डी लगाने पर करीब पांच लाख रुपए का खर्च आएगा, जो कि हम वहन नहीं कर सकते हैं। मैं सेवानिवृत्त हो चुका हूं। पहले ही ऑपरेशन में 15 से 20 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं।

पांच साल तक खराब नहीं हाेती हड्‌डी

डॉक्टर्स बताते हैं कि हड्डी पांच साल तक खराब नहीं होती है। उसे हॉस्पिटल में सुरक्षित रखा जा सकता है। बाद में उसे मरीज को फिर से लगाई जा सकती है। यह हड्डी ब्रेन की सेफ्टी वॉल होती है जो कि ब्रेन को सुरक्षित रखती है।

हॉस्पिटल का तर्क… परिजनों से बात कर रहे हैं, दूसरे को लगाने की बात गलत

सीएचएल हॉस्पिटल के प्रबंधन होफेजा का कहना है कि परिवार के लोगों से अनुमति लेकर ही हड्डी को डिस्ट्रॉय किया है। इस बारे में मरीज के परिजनों से बात कर रहे हैं। उन्होंने दूसरे मरीज को लगाए जाने के आरोप को निराधार बताया है।

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